तेरे दीदार के काबिल कहाँ मेरी
नजर है …….
वो तो तेरी रहमत है जो तेरा रुख
इधर है ।।………
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तेरे दीदार के काबिल कहाँ मेरी
नजर है …….
वो तो तेरी रहमत है जो तेरा रुख
इधर है ।।………
चलो फिर से कहीं दिल लगा लेते हैं ,…
…
सुना है अच्छे दिन आने वाले हैं ।
Tum the to waqt kahin thaherta nhi tha…
Ab waqt guzarne main bhi waqt lagata hain…
जुबाँ न भी बोले तो,
मुश्किल नहीं…
फिक्र तब होती है जब…
खामोशी भी बोलना छोड़ दें…।।
जख्म छुपाना भी एक हुनर है,
वरना, यहाँ हर मुठ्ठी में नमक है
अल्फ़ाज़ के कुछ तो
कंकर फ़ेंको जनाब,
झील सी गहरी ख़ामोशी है यहां.!!
ज़हर का सवाल नहीं था
वो तो में पी गया
तकलीफ़ लोगों को ये थी
की में जी गया ।
दर्द की बारिशों में हम अकेले ही थे,,,!!!..
ऐ umar !!!
जब बरसी ख़ुशियाँ न जाने भीड़ कहां से आ गयी.!!!
रात रोने से कब घटी साहब
बर्फ़ धागे से कब कटी साहब
सिर्फ़ शायर वही हुए जिनकी
ज़िंदगी से नहीं पटी साहब..
ज़िन्दगी तो अपने ही दम पे जी जाती है
यारों किसी के सहारे से तो जनाज़े उठा करते हैं