यादों का किस्सा

मै यादों का किस्सा खोलूँ तो, कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं. मै गुजरे पल को सोचूँ तो, कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं. अब जाने कौन सी नगरी में, आबाद हैं जाकर मुद्दत से. मै देर रात तक जागूँ तो , कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं. कुछ बातें थीं फूलों जैसी, कुछ लहजे… Continue reading यादों का किस्सा

अपने हाथों से

किसी और की नीव पर बना मकान जाने कब गिर जाये, उसकी मजबूती का भरोसा तो तब होता है , जब बुनियाद में हर ईंट अपने हाथों से रखी हो..

मगरूर हो जाते

मगरूर हो जाते है,अक्सर, ज़माने में वही लोग…! जिन्हें मिलता है ज़्यादा उनकी “औकात” से…!!

लगता है हमारी

लगता है हमारी हथेली में love line है ही नही.. बचपन में जलजीरा चाटते चाटते उसको भी साफ कर गये थे…

रोता रहा रात भर

में रोता रहा रात भर पर ये फैसला ना कर सका …तू याद आ रही थी या में याद कर रहा था !!!

कर लेता हूँ बर्दाश्त

कर लेता हूँ बर्दाश्त हर दर्द इसी आस के साथ.. की खुदा नूर भी बरसाता है … आज़माइशों के बाद…

तीर क्यु मारती है

तीर क्यु मारती है , तलवार मार कै दैख , सच्चा Pyar करती है तो आँख मार कै दैख !!!

फूल से मोहब्बत

खुसबू कैसे ना आये मेरी बातो से यारो, मैंने बरसो से एक ही फूल से मोहब्बत की है…….!!!!!!!!!

कोई उसे खुश

कोई उसे खुश करने के बहाने ढूंड रहा था, मैने कहा- उसे मेरे मरने की खबर सुना दे…..

Log kehte hai

Log kehte hai wo shaks tera nhi hai…. main ye soch kar khamosh hu… Ke taqdeer khuda likhta hai.. log nhi…

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