खुशियाँ उतनी ही अच्छी…
जितनी मुट्ठियों मे समा जाए….
छलकती ,बिखरती खुशियो को…
अक्सर नजर लग जाया करती है …
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
खुशियाँ उतनी ही अच्छी…
जितनी मुट्ठियों मे समा जाए….
छलकती ,बिखरती खुशियो को…
अक्सर नजर लग जाया करती है …
उस ज़ुल्फ़ के फंदे से निकलना नहीं मुमकिन
हाँ माँग कोई राह निकाले तो निकाले|
मिट जाए गुनाह् का आलम ही जहां से,
अगर पुख़्ता यकीन हो के रब देख रहा है…॥
इश्क का होना भी लाजमी है शायरी के लिये,,,,
कलम लिखती तो आज हर लिपिक ग़ालिब होता …..
ये आशिको का शहर हैं,,
जनाब..!
यहाँ सवेरा सूरज से नहीँ
किसी के दीदार से होता हैं..
विपत्ति का जीवन मे आना । “पार्ट ओफ लाइफ” है।और और उस विपत्ति में मुस्कुरा कर शांति से बाहर निकलना।
उनकी नफरत भरी नज़रों के तीर तो बस
हमारी जान लेने का बहाना था
दिल हमारा टुकड़े टुकड़े होकर बिखर गया
पूरी महफ़िल बोली वाह ! क्या निशाना था
ये दुनिया इसलिए बुरी नही के
यहाँ बुरे लोग ज्यादा है।
बल्कि इसलिए बुरी है कि यहाँ
अच्छे लोग खामोश है।।
मुझे मालूम
है कुछ रास्ते
कभी मंजिल तक नहीं जाते
फिर भी मैं चलता रहता हू
क्यूँ कि उस राह में कुछ
अपनों के घर भी आते है …!!
आइना है ये जिंदगी मेरे दोस्त !
तू मुस्कुरा जिंदगी भी मुस्कुरा देगी|