किस किस तरह से छुपाऊँ तुम्हें मैं,
मेरी मुस्कान में भी नज़र आने लगे हो तुम….
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
किस किस तरह से छुपाऊँ तुम्हें मैं,
मेरी मुस्कान में भी नज़र आने लगे हो तुम….
रोकना मेरी हसरत थी । और जाना उसका शोक …
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वो अपना शोक पूरा कर गया । मेरी हसरते तोड़ कर …
मुझे कहाँ से आएगा लोगो का दिल जीतना …!!
मै तो अपना भी हार बैठा हुँ..
गम ने हसने न दिया, ज़माने ने रोने न दिया!
इस उलझन ने चैन से जीने न दिया!
थक के जब सितारों से पनाह ली!
नींद आई तो तेरी याद ने सोने न दिया!
हस के चल दूँ मैं कांच के टुकडो परअगर दोस्त कह दे की ये तो मेरे बिछाए हुए फूल हैं…
कुछ लोग आए थे मेरा दुख बाँटने मैं जब खुश हुआ तो खफा होकर चल दिये
कुछ देर तो हँस लेने दो मुझे…
हर पल कहाँ उसे मैं भूल पाता हूँ..!!
ना लफ़्ज़ों का लहू निकलता है ना किताबें बोल पाती हैं,
मेरे दर्द के दो ही गवाह थे और दोनों ही बेजुबां निकले…
ये दुनियावाले भी अजीब होते है
दर्द आँखो से निकले तो कायर कहते है
और बातों से निकले तो शायर कहते है
हम इतने मतलबी नहीं की तुझे धोका दे..!!
बस्स हमें समझना तेरे बस की बात नहीं….!!!