वो शायद किसी महंगे खिलौने सी थी…
मैं बेबस बच्चे सा उसे देखता ही रह गया…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
वो शायद किसी महंगे खिलौने सी थी…
मैं बेबस बच्चे सा उसे देखता ही रह गया…
मौसम का इशारा है खुश रहने दो बच्चों को
मासूम मोहब्बत है फूलों कि खताओं में…
घरों पे नाम थे
नामों के साथ औहदे थे
बहुत तलाश किया
कोई आदमी न मिला।
प्यार आज भी तुझसे उतना ही है..
बस तुझे “एहसास” नही और हमने भी जताना छोड दिया…
वो अफसाना जिसे अंजाम तक लाना ना हो मुमकिन,
उसे एक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा……
कल बहस छिड़ी थी मयखाने में जाम कौन सा बेहतरीन है,
हमने तेरे होंठों का ज़िक्र किया और बहस ख़त्म हो गयी…
मत किया कर ऐ दिल किसी से मोहब्बत
इतनी..!!जो लोग बात नहीं करते वो प्यार क्या
करेंगे…!!
जमा कर खुद के पाँवों को चुनौती देनी पड़ती है
कोई बैसाखियों के दम पे अंगद हो नहीं सकता
….
बराबर उसके कद के यों मेरा कद हो नहीं सकता
वो तुलसी हो नहीं सकता मैं बरगद हो नहीं सकता
जिनको मिली है, ताक़त दुनिया सँवारने की…
खुदगर्ज आज उनका ईमान हो रहा है…!!