हमसे बिछड़ के वहाँ से एक पानी की
बूँद न निकली
तमाम उम्र जिन आँखों को हम,
झील कहते रहे।
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जिंदगी में सिर्फ
उल्फ़त, मोहब्बत, अश्क, वफ़ा, अफ़साने..
लगता है वो आयी थी जिंदगी में सिर्फ ऊर्दू सिखाने।
रात भर चलती
रात भर चलती रहती है अब
उंगलियाँ मोबाईल पर…!
किताब सीने पर रखकर सोये हुए तो
एक जमाना गुजर गया….!!!
दिल में चाहत
दिल में चाहत का होना भी लाज़मी है वरना,
याद तो दुश्मन भी रोज़ किया करते है.
अजीब खेल है
अख़बार का भी अजीब खेल है
सुबह अमीर की चाय का मजा बढाता है
और रात में गरीब के खाने की थाली बन जाता है…!
वो लमहा भी
जरूरी नही की हर समय लबो पर खुदा का नाम आये ।।
वो लमहा भी इबादत का होता है…
जब इनसान किसी के काम आये…
हाथ की लकीरें
हाथ की लकीरें पढने वाले ने तो….
मेरे होश ही उड़ा दिये..!
मेरा हाथ देख कर बोला…
“तुझे मौत नहीं किसी की चाहत
मारेगी…
जन्नत नसीब नहीं हो
ऐ इश्क __!!!
जन्नत नसीब नहीं हो सकती तुझे कभी….
बड़े मासूम लोगों को बर्बाद किया है तूने|
जाग रहे हॊ
जाग रहे हॊ न अब तक,
मैनें कहा था न ईश्क मत करना…!
आ के अब
आ के अब यूँ सहा नहीं जाता
दूर तुझ से रहा नहीं जाता
दरगुज़र िकतना भी करलूँ
मुझसे अब चुप रहा नहीं जाता
नेक बख़ती की बात सुनता हूँ
तो भी अच्छा हुआ नहीं जाता
दिल में ऐसी उमंग उठती है
चाहूँ भी बारहा, नहीं जाता
क्यों पसो पेश में पड़ा है तू
यार सोचा इतना नहीं जाता
दूर रख अब दिमाग़ को आज
कुछ इसे भी समझ नहीं आता
िजसका मैदान है उसे मालूम
क्या सही है और क्या भाता
पूरा भर इश्क़ से प्याले को
ख़ाली थोड़ा रहे छलक जाता
सेरी तो ितशनगी से बेहतर
दूसरा’ कुछ नज़र नहीं आता
आ इधर, छोड़ सारी बात
कर पहल, आगे है दातासब है
आसान ठान ले गर तू
तेज़ क़दमों से घर नहीं आता !