सिसकना,भटकना,और फिर थम जाना….
बहुत तकलीफ देता है, खुद ही संभल जाना…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
सिसकना,भटकना,और फिर थम जाना….
बहुत तकलीफ देता है, खुद ही संभल जाना…
किस्सा बना दिया एक झटके में उसने मुझे,
जो कल तक मुझे अपना हिस्सा बताता था !!
भूलना भुलाना दिमाग़ का काम है साहिब….
आप दिल में रहते हो….बेफिक्र हो जाओ….!!
निभाते नही है..लोग आजकल..!
वरना..
इंसानियत से बड़ा रिश्ता कौन सा है..
ये खुली-खुली सी जुल्फें, इन्हें लाख तुम सँवारो,….
जो मेरे हाथ से सँवरतीं, तो कुछ और बात होती!!..
एक अरसा गुजर गया तुम बिन
फिर तेरी यादे क्यों नहीं गुजर जाती इस दिल से
जो जरा किसी ने छेड़ा तो छलक पड़ेंगे आँसू..
कोई मुझसे ये ना पूछें मेरा दिल उदास क्यूँ है
हर शख्श नहीं होता अपने चेहरे की तरह,
हर इंसान की हकिकत उसके लहजे बताते है..
रखा करो नजदीकियां, ज़िन्दगी का कुछ भरोसा नहीं. . . .
फिर मत कहना चले भी गए… और बताया भी नहीं. . .
तुम्हारी बज़्म से निकले तो हम ने ये सोचा
ज़मीं से चाँद तलक कितना फ़ासला होगा