मुड़कर नहीं देखता अलविदा के बाद ,
कई मुलाकातें बस इसी गुरुर ने खो दी।
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रात किस्तों में
रात किस्तों में कट रही है,
चाहत जिन्दगी से पेंशन लेने की है
आसमां तेरा मेरा
आसमां तेरा मेरा हुआ
सांस की तरहां रुआ रुआ
माना की आज
माना की आज इतना वजुद नही हे मेरा पर…
बस उस दिन कोई पहचान मत निकाल लेना जब मे कुछ बन जाऊ…
लगने दो आज
लगने दो आज महफिल ….
शायरी कि जुँबा में बहते है ….
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तुम ऊठा लो किताब गालिब कि ….
हम अपना हाल ए दिल कहते है .
शिकवा तो बहुत है
शिकवा तो बहुत है मगर शिकायत नहीं कर सकते
मेरे होठों को इज़ाज़त नहीं तेरे खिलाफ बोलने की
कहाँ तलाश करोगे
कहाँ तलाश करोगे तुम दिल हम जैसा..,
जो तुम्हारी बेरुखी भी सहे और प्यार
भी करे…!!
मुहब्बत सामने थी
शिकायत तुम्हे वक्त से नहीं खुद से होगी,
कि मुहब्बत सामने थी, और तुम दुनिया में उलझी रही.
दिल की बातें
दिल की बातें दूसरों से मत कहो लुट जाओगे
आज कल इज़हार के धंधे में है घाटा बहुत |
रात होते ही
रात होते ही,
तेरे ख़यालों की सुबह हो जाती है