अब सज़ा दे ही चुके हो तो मेरा हाल ना पूछना,
गर मैं बेगुनाह निकला तो तुम्हे अफ़सोस बहुत होगा…
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सुधर पाये हम
हुऐ बदनाम, मगर फिर भी ना… सुधर पाये हम,
फिर वही शायरी…फिर वही इश्क…और फिर वही तुम…..!!
रात को अक्सर
रात को अक्सर ठीक से नींद नहीं आती ….. घर की किश्तें कम्बखत चिल्लातीं बहुत हैं ..
क्यूँ जहर देँ
मार देँ एक दफ़ा ही,
नशीला सा कुछ खिला के…
क्यूँ जहर देँ रहे हो,
मोहब्बत मिला मिला के…
तन्हाई का आलम
कभी आंसू, कभी यादें, कभी तन्हाई का आलम, हुनर है इश्क का कि दिखाए क्या-क्या।
क्या खुब जवाब था
क्या खुब जवाब था एक बेटि का
जब उससे पुछा गया की तेरी दुनिया
कहा से शुरू होती है कहा पर खत्म..
बेटि का जवाब था..
मा की कोख से शुरू होकर,
पिता के चरणो से गुजर कर,
पती की खुशी के गलियो से होकर,
बच्चो के सपनो को पुरा करने तक खत्म..
न “माँग” कुछ
न “माँग” कुछ “जमाने” से
” ये” देकर “फिर” “सुनाते” हैं
“किया” “एहसान” “जो” एक “बार”
वो “लाख” बार “जताते” “हैं”
“है” “जिनके” पास “कुछ” “दौलत”
” समझते” हैं “खुदा” हैं “हम”
“ऐ” “बन्दे” तू “माँग” “अपने””अल्लाह” से
“जहाँ” माँगने “वो” भी “जाते” है..
मैं वो दरिया हूं
मैं वो दरिया हूं जिसकी हर बूंद भंवर है
तुमने अच्छा ही किया किनारा करके
मुझे ही नहीं
मुझे ही नहीं रहा शौक़ -ए मोहब्बत वरना,
तेरे शहर की खिड़कियाँ इशारे अब भी करती हैं…
में तो उसको देखकर
में तो उसको देखकर एक नज़र में ही फ़ना हो गया,
न जाने रोज उसके आयने का क्या हाल होता होगा।।