इस शहर में

इस शहर में मजदूर जैसा दर बदर कोई नहीं

सैंकड़ों घर बना दिये पर उसका कोई घर नहीं

सरेआम न सही

सरेआम न सही फिर भी रंजिश सी निभाते है..

किसी के कहने से आते किसी के कहने से चले जाते..