थोड़ी सी तकलीफ थोड़ी सी तन्हाई रहती है हरदम..
हां…मैं उसकी यादों के बाजार में टहलता हूँ|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
थोड़ी सी तकलीफ थोड़ी सी तन्हाई रहती है हरदम..
हां…मैं उसकी यादों के बाजार में टहलता हूँ|
बात मोहब्बत की थी, तभी तो लूटा दी जिंदगी तुझ पे……!
जिस्म से प्यार होता तो….तुझ से भी
हसीन चेहरे बिकते है,बाजार में….!!
धड़कनें गूंजती हैं सीने में
इतने सुनसान हो गए हैं हम
वो सुना रहे थे अपनी वफाओ के किस्से।
हम पर नज़र पड़ी तो खामोश हो गए
हुआ था शोर पिछली रात को……दो “चाँद” निकले हैं,
बताओ क्या ज़रूरत थीं “तुम्हे” छत पर टहलने की
बड़े सुकून से वो रहता है आज कल मेरे बिना,
जैसे किसी उलझन से छुटकारा मिल गया हो उसे…
कोई ऐसी सुबह भी मिले मुझे,
के मेरी आँख खुले तेरी आवाज से..
हजार के नोटों से तो बस अब जरूरत पूरी होती है…
मजा तो ” माँ ” से मांगे एक रूपये के सिक्के में था।
जो तालाबों पर चौकीदारी करते हैँ…
वो समन्दरों पर राज नहीं कर सकते..!!!
बस यही सोच कर हर मुश्किलों से लड़ता आया हूँ…!
धूप कितनी भी तेज़ हो समन्दर नहीं सूखा करते…।।