वो अक्सर देता है मुझे , परिंदों की मिसाल .
साफ़ नहीं कहता के , मेरा शहर छोड़ जाओ.
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
वो अक्सर देता है मुझे , परिंदों की मिसाल .
साफ़ नहीं कहता के , मेरा शहर छोड़ जाओ.
दर्द बयां करना है तो शायरी से कीजिये जनाब…..
लोगों के पास वक़्त कहाँ एहसासों को सुनने का…
आज़ाद पंछी बनने का मज़ा ही
अलग है..
अपनी शर्तों पर जीने का….नशा
ही अलग है ..
छुपी होती है लफ्जों में
बातें दिल की…!!
लोग शायरी समझ के
बस मुस्कुरा देते हैं…!!
हमेशा नहीं रहते सभी चेहरे नक़ाबों में,
हर इक क़िरदार खुलता है, कहानी ख़त्म होने
पर…!!
मिलन की रुत से मुहोब्बत को तराशने वालों,,,
अकेले बैठ के रोना भी प्यार होता हैं..!!
समझ में नहीं आता
वफा करें तो किससे करें …!
मिट्टी से बने लोग
काग़ज़ के टुकडों पे बिक जाते हैं …!!
गाल पर ढलके हुए आँसू की राह थाम कर।
उसका काज़ल सब कहानियाँ बता निकला।
इलाही क्या इलाक़ा है वो जब लेते हैं अंगड़ाई
मिरे ज़ख़्मों के सब टाँके अचानक टूट जाते हैं”..!!
ख़्वाहिशों का कैदी हूँ,
मुझे हकीक़तें सज़ा देती हैं..