दिल को बेचैन सा करती है तुम्हारी आंखें…! •
रात को देर तक तुम मुझे सोचा ना करो..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
दिल को बेचैन सा करती है तुम्हारी आंखें…! •
रात को देर तक तुम मुझे सोचा ना करो..
कहाँ खर्च करूँ , अपने दिल की दौलत…
सब यहाँ भरी जेबों को सलाम करते हैं…
आँखों से पानी गिरता है , तो गिरने
दीजिये…
कोई पुरानी तमन्ना पिघल
रही होगी…
छोटे शहर के अखबार जैसा हूं मैं,,
दिल से लिखता हूं, शायद इसलिए कम बिकता हूं..!
मज़हब पता चला जो मुसाफ़िर कि लाश का..
चुप चाप आधी भीड़ घरों को चली गयी…!!”
स्वर्ग में
सीढ़ी लगाने की
अभिलाषा
खत्म हो गयी
चाहे
साथ ही मेरे …..
चाँद की पगडंडी से
देखा हैं अपना वजूद मैंने
अग्नि भेंट होता भी ….
पर मैं
आज भी
ज़िंदा हू
हमेशा ज़िंदा रहूँगा
तेरे दिलो दिमाग अंदर ….!!
मुकद्दर एक रोज जरुर बदलेगा बस इतना कर,
जिस्म मैं दौड़ते लहू को माथे
का पसीना बना दे
शिकायते तो बहुत है तुझसे ए जिन्दगी;
पर जो दिया तूने,
वो भी बहुतो को नसीब नही….
हार की परवाह करता,तो मै जीतना छोड़ देता…लेकिन “जीत” मेरी ‘जिद’ है,और जिद का मै बादशाह हूँ…!
भूख मिटाने की खातिर,
हमने सपने बेच दिये…?