यही बस सोचकर के हम सफाई दे नहीं पाए….
भले इल्जाम झूठा है, मगर तुमने लगाया है
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
यही बस सोचकर के हम सफाई दे नहीं पाए….
भले इल्जाम झूठा है, मगर तुमने लगाया है
हम तो मरेंगे भी उस अंदाज से,
जिस अंदाज में लोग जीने को तरसते हे……
हर रिश्ते का नाम जरूरी नहीं होता,
मेरे दोस्त…….
कुछ बेनाम रिश्ते,
रुकी जिंदगी को साँस देते है…
करवटें बदलता रहा बिस्तर में यू ही रात भर,
पलकों से लिखता रहा तेरा नाम चाँद पर ॥
सुकून मिलता है दो लफ्ज कागज पर उतार कर।
चीख भी लेता हूँ और आवाज भी नही आती।
मैं जिसे अपना चाँद समझता था…
उसने मोहल्ले के आधे से ज्यादा लड़के अंतरिक्ष यात्री बना रखे थे।
मेरा मोल लगाने बैठे है कुछ लोग तिजोरी खोले़ दुनिया मे इतना धन कहा जो मेरी खुददारी तोले!!!!!!!!
मुसीबतों से उभरती है शख्सियत यारो…
जो चट्टानों से न उलझे वो झरना किस काम का…
अपनी कमजोरियां उन्ही लोगों को बताइये,
जो हर हाल में आपके साथ मजबूती से खड़े होना जानते है”
” क्यूँकि रिश्तों में विश्वास
,
और मोबाईल में नेटवर्क ना हो,
.
.
तो लोग Game खेलना शुरू कर देते हैं !!
ये सोच हमेशा कायम रखना दोस्तों
राह चलती अकेली लड़की
मौका नहीं
एक जिम्मेदारी है