कितनी मुश्किलों से…..फलक पर नजर आता है.
ईद के चाँद का अंदाज़…..बिलकुल तुम्हारे जैसा है….
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कितनी मुश्किलों से…..फलक पर नजर आता है.
ईद के चाँद का अंदाज़…..बिलकुल तुम्हारे जैसा है….
वो खुद ही ना छुपा शके अपने चेहरे को नकाब मेँ…..,
बेवजह हमारी आँखो पे इल्जाम लगा दिया….!!!
Kitni muskilon se….. Falak par nazar aata hai…
Eid ke chaand ka andaaz…… Bilkul tumhare jaisa hai…..
ये जिस्म क्या है
कोई पैरहन उधार का है
यहीं संभाल कर पहना यहीं उतार चले…
क़ैदखाने हैं,
बिन सलाखों के,
कुछ यूँ चर्चे हैं,
उनकी आँखों के…
किसी भी मोड़ पर अगर हम बुरे लगें तो,
दुनिया को बताने से पहले हमें बता देना…
ये दिल आज भी धोखे मे है…
और धोखेबाज दिल में है…॥
एक नींद है जो रात भर नहीं आती
और एक नसीब है जो न जाने कब से सो रहा..
बेशक वो ख़ूबसूरत आज भी है, पर चेहरे पर वो मुस्कान नहीं, जो हम लाया करते थे..!!!
हमारे बिन अधूरे तुम रहोगे
कभी था कोई मेरा, तुम खुद कहोगे
न होगें हम तो ये आलम भी न होगा
मिलेगें बहुत से पर कोई हम-सा न होगा.