उस रात से

उस रात से मैंने सोना ही छोड़ दिया ‘
दोस्त’…
जिस रात उस ने कहा के सुबह आंख खुलते ही मुझे भूल
जाना…

काश पलट के

काश पलट के पहुच जाउ बचपन की उन वादीओ में
जहा ना कोई ज़रूरत थी
ओर ना कोई ज़रूरी था…