कबुल करने के किये

गलती निकाल ने के लिए “दीमाग”चाहिये .. ओर कबुल करने के किये “कलेजा” चाहिए..!!

मुसीबत में अगर

मुसीबत में अगर मदद मांगो तो सोच कर मागना क्योकि… मुसीबत थोड़ी देर की होती है और एहसान जिंदगी भर का..!

तेरे हैं हम

जाओ जा कर ढून्ढो हम से ज्यादा चाहने वाला मिल जाये तो खुश रहना न मिले तो फिर भी तेरे हैं हम..!!

क्यूँ तलाश करते हो

बहाना क्यूँ तलाश करते हो रूठ जाने का … बस इतना कह देते के दिल में जगह नहीं है…!

कदर करलो उनकी

कदर करलो उनकी जो तुमसे बिना मतलब की चाहत करते हैं… दुनिया में ख्याल रखने वाले कम और तकलीफ देने वाले ज़्यादा होते है..!

ज़िंदा हो गयी

ख़ुदकुशी लिखी थी एक बेवा के चेहरे पर मगर फिर वो ज़िंदा हो गयी बच्चा बिलकता देख कर

आज तेरे दिल से

हम जैसे बर्बाद दिलों का क्या जीना और क्या ‘मरना’.. आज तेरे दिल से निकले है; कल इस दुनिया से निकल जायेंगे..!

दीवारे रोती रहती है

कल रात अपने सारे दुःख कमरे की दीवारों से कह डाले.. अब मैं सोता रहता हूँ और दीवारे रोती रहती है

खाते हुए देखा मैने

रूखी रोटी को भी बाँट के खाते हुए देखा मैने… सड़क किनारे का वो भिखारी शहंशाहों से भी अम़ीर निकला……..

ज़रा चमकता है

हर ज़रा चमकता है परवर दिगार से हर साँस ये कहती है हम हैं तो ख़ुदा भी हे

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