तेरे बिना ये जिन्दगी कितनी अँधूरी हैँ,
तेरे पास ना होने कि क्या मजबूरी हैँ,
अगर तू कहेतो ये जिन्दगी गमोमे गुजार दू,
सिर्फ तेरी आवाज सुननेकी चाहत अँधूरी हैँl
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तेरे बिना ये जिन्दगी कितनी अँधूरी हैँ,
तेरे पास ना होने कि क्या मजबूरी हैँ,
अगर तू कहेतो ये जिन्दगी गमोमे गुजार दू,
सिर्फ तेरी आवाज सुननेकी चाहत अँधूरी हैँl
साकी को गिला है की उसकी बिकती नहीं शराब..
और एक तेरी आँखें है की होश में आने नहीं देती.. .!”
ग़ुरूर उनको भी है, ग़ुरूर हमको भी..
बस इसी जंग को जीतने में हम दोनों हार गये..
अपने ही अपनों से करते है अपनेपन की अभिलाषा…
पर अपनों ने ही बदल रखी है, अपनेपन की परिभाषा !!
फासलें इस कदर हैं आज रिश्तों में,
जैसे कोई घर खरीदा हो किश्तों में
बहुत मुश्किल से करता हूँ तेरी यादों का कारोबार..
मुनाफा कम ही है लेकिन गुज़ारा हो ही जाता है..
हज़ारों मिठाइयाँ चखी हैं मैंने
लेकिन ख़ुशी के आंसू से मीठा कुछ भी नहीं..
हम लबों से कह ना पाये,
उनसे हाल – ए –दिल कभी,
और वो समझे नही यह
ख़ामोशी क्या चीज है..
कभी रूखसत करना मेरी
दिल्लगी पे जालिम
हम बजारो मे नही हजारो मे मिलते है….
हाथ जख्मी हुए तो कुछ हमारी भी गलतियाँ थी,,,
लकीरों को मिटाने चले थे किसी एक को पाने के लिए…