उसी का शहर,
वही खुदा और वहीं के गवाह…
मुझे यकीन था,
कुसूर मेरा ही निकलेगा |
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मुहँ खोलकर तो
मुहँ खोलकर तो हँस देता हूँ मैं हर किसी के साथ…..
लेकिन दिल खोलकर हंसे मुझे ज़माने गुज़र गए !!
फिर छोटी सी
फिर छोटी सी मुलाकात हो गई,
दिल जितना खुश हो उतनी बात हो गई।।
अगर प्यार है
अगर प्यार है तो शक़ कैसा
अगर नहीं है तो हक़ कैसा..
बस तेरे ख़याल ही
बस तेरे ख़याल ही तो हैं मेरे पास,
वरना कौन कमबख्त सूनी राहों पर मुस्कुराता है।।
मैं कोई छोटी सी
मैं कोई छोटी सी कहानी नहीं था,
बस पन्ने ही जल्दी पलट दिए उसने।।
मेरे शब्दो को
मेरे शब्दो को इतनी शिद्दत से ना पढा करो,
कुछ याद रह गया तो हमे भूल नही पाओगे !!
एक पल में
एक पल में ले गयी मेरे सारे गम खरीद कर…
कितनी अमीर होती है ये बोतल शराब की…
बोल दिया होता..
बोल दिया होता…
तुम्हे दर्द देना है ऐ जिंदगी,
मोहब्बत को बीच में लाने की
क्या जरुरत थी . . . ?
आज भी नहीं
आज भी नहीं बदली है वो आदत मेरी,
तेरी याद मैं रोटियाँ आज भी जला देती हूँ।।