बात छोटी है पर विचारणीय है…
जिस धागे की गांठ खुल सकती हो,
उस पर कैची मत चलाओ…!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
बात छोटी है पर विचारणीय है…
जिस धागे की गांठ खुल सकती हो,
उस पर कैची मत चलाओ…!
अच्छा हुआ जिसे चाहा….
उसके नही हुए……
नही तो हम गुलाम ही हो जाते…..
कुछ कह रही हैं आप के सीने की धड़कनें
मेरा नहीं तो दिल का कहा मान जाइए
कभी तो आसमाँ से चाँद उतरे, जाम हो जाए
तुम्हारे नाम की इक ख़ूब-सूरत शाम हो जाए
ग़मों को मुझसे एक चाहत सी हो गई है,
मैं उदास नहीं, उदास रहने की आदत सी हो गई…
ना गम है तू…. ना खुशी है तू…,,,
मेरी उम्र भर की बस एक कमी है तू….!!!!!
बेटियों का बाप भी कितना मजबूर होता है,
शहर के आवारा गिद्धों का कुछ बिगाड नही सकता….
उसे अपने परियों के पंख ही कुतरने पड़ते है…!!!
दोस्ती नज़रों से हो तो उसे कुदरत कहते हैं,
सितारों से हो तो उसे जन्नत कहते है,
हुसन से हो तो उसे महोब्बत कहते है,
और दोस्ती आप जैसे दोस्त से हो तो उसे किस्मत कहते है,
अगर मिल जाती खुशी दुनिया मे आसानी से,
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तो दिल की मुलाकात कभी दर्द से ना होती….!!
तू चेहरे पर बढ़ती सिलवटों की परवाह न कर,
हम लिखेंगें तुझे अपनी शायरी में हमेशा ही जवां…!!!