कितने बरसों का सफर यूँ ही ख़ाक
हुआ। ..जब उन्होंने कहा “कहो..कैसे आना हुआ ?
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तुम ये कैसे जुदा हो
तुम ये कैसे जुदा हो गये?!
हर तरफ़ हर जगह हो गये!!
अपना चेहरा न बदला गया!
आईने से ख़फ़ा हो गये!!
अगर अहसास बयां
अगर अहसास बयां हो जाते लफ्जों से तो……
फिर कौन करता कद्र…. खामोशियों की…..
आसमाँ की ऊंचाई
आसमाँ की ऊंचाई नापना छोड़ दे
ए दोस्त….
ज़मीं की गहराई बढ़ा…
अभी और नीचे गिरेंगे लोग
आधे से कुछ ज़्यादा
आधे से कुछ ज़्यादा है…
पूरे से कुछ कम,
कुछ जिन्दगी, कुछ ग़म,
कुछ इश्क, कुछ हम.
तेरे ख्याल में जब
तेरे ख्याल में जब भी
बे-ख्याल होता हूँ…
कुछ देर के लिए ही सही
बे-मिसाल होता हूँ…!
सुना है आज
सुना है आज उस की आँखों मे आसु आ गये……
वो बच्चो को सिखा रही थी की मोहब्बत ऐसे लिखते है !!
वो लोग जो तुझे
वो लोग जो तुझे ,
कभी कभी याद आते हैं …
हो सके तो उन में ,
मुझे भी शुमार कर लेना …
सारी उम्र गुज़री
सारी उम्र गुज़री यूँ ही रिश्तों की तुरपाई में…..
मन के रिश्ते पक्के निकले,
बाक़ी उधड़ गए कच्ची सिलाई में ..
मुझसे मत पूछा कर
मुझसे मत पूछा कर ठिकाना मेरा,
तुझ में ही लापता हूँ कहीं….
अब भी चले आते हैं ख्यालों में वो,
रोज लगती है हाजरी उस गैर हाजिर की..