बड़ा अरमान था

बड़ा अरमान था तेरे साथ जीवन बिताने का;
शिकवा है बस तेरे खामोश रह जाने का;
दीवानगी इससे बढ़कर और क्या होगी?
आज भी इंतज़ार है तेरे आने का!

तड़प के देखो

तड़प के देखो किसी की चाहत में;
तो पता चले कि इंतज़ार क्या होता है;
यूँ ही मिल जाये अगर कोई बिना तड़पे;
तो कैसे पता चले के प्यार क्या होता है|

न मेरा एक होगा

न मेरा एक होगा,
न तेरा लाख होगा,
न तारिफ तेरी होगी,
न मजाक मेरा होगा.
गुरुर न कर “शाह-ए-शरीर” का,
मेरा भी खाक होगा,
तेरा भी खाक होगा !!!

में तो चिराग हू

में तो चिराग हू तेरे आशियाने का
कभी ना कभी तो बुझ जाऊंगा …
आज शिकायत है तुझे मेरे उजाले से
कल अँधेरे में बहुत याद आऊंगा …