इतना तो किसी ने चाहा भी न होगा,
जितना मैने सिर्फ सोचा है……
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
इतना तो किसी ने चाहा भी न होगा,
जितना मैने सिर्फ सोचा है……
इतना तो किसी ने चाहा भी न होगा,
जितना मैने सिर्फ सोचा है……
पूरी दुनिया नफ़रतों में जल रही है..
इसीलिए इस बार ठण्ड कम लग रही है।
Koi muskurakar rakh gaya
meri kabr’a par mohabbat ka phool;
aaj ishq ki aankhon mein
khumaar utar aaya hai
ए ज़िन्दगी तेरे जज़्बे को सलाम,
पता है कि मंज़िल मौत है, फिर भी दौड़ रही है…!
उल्फत की जंजीर से डर लगता हैं,
कुछ अपनी ही तकदीर से डर लगता हैं,
जो जुदा करते हैं, किसी को किसी से,
हाथ की बस उसी लकीर से डर लगता हैं..
मेरी समझदारियोँ ने मेरी मासूमियत को मार ङाला…
–
तुझे अब भी शिकायत है कि मैँ तुझे समझता नहीँ…!!!
बन्दा खुद की नज़र में सही होना चाहिए…
दुनिया तो भगवान से भी दुखी है |
बीतता वक़्त है
लेकिन,
खर्च हम हो जाते हैं ।
Tu wo zaalim hai
jo dil mein rehkar bhi
mera na ban saka
aur dil wo kaafir,
jo mujhme rehkar bhi
tera ho gaya