Nazar aur Naseeb

Nazar aur Naseeb ka Kuch Aisa Ittefaq hai
ki…….

Nazar Ko Aksar Wahi Cheez Pasand Aati Hai Jo Naseeb Mein Nahi Hoti !!
aur
Naseeb Me Likhi Cheez Aksar Nazar Nahi Aati…

कुछ इस तरह

कुछ इस तरह से हमने पूरी क़िताब पढ़ ली….
ख़ामोश बैठी रही ज़िंदगी…चाहतों ने पन्ने पलट दिए….

बातों को स्वीकार

हे भगवान,

मुझे उन बातों को स्वीकार करने का धैर्य प्रदान करो जिन्हें मैं बदल नहीं सकता हूं;
जिन चीजों को मैं बदल सकता हूं उनको बदलने का साहस दो
तथा इन दोनों में अंतर करने के लिए बुद्धि प्रदान करो।