कोई तो लिखता होगा

कोई तो लिखता होगा इन कागज़ के ज़र्रों और इन पत्थरों का नसीब,

वरना यह मुमकिन नहीं कि कोई पत्थर ठोकर खाए,आैर कोई भगवान हो जाए….

कोई कागज़ रद्दी बन जाए तो कोई कागज़ गीता या कुरान हो जाए…!

WAQT HI YAAD

AGAR LOG AAPKO SIRF JARURAT KE WAQT HI YAAD KARTE HAI TO
BURA MAT MANO.

KYOKI
“MOMBATI KI YAAD TABHI AATI HAI JAB CHARO TARAF ANDHERA HO JATA HAI

बड़ी तकात है

“भरोसा” बहुत बड़ी तकात है
पर यह यू ही नही काम आती है

खुद पर रखो तो “ताकत” और दुसरो पर रखो
तो “कमजोरी” बन जाती है ।