सुनो इक बात कहूँ तुमसे
रोज़े की तरह फ़र्ज़ हो जाओ मुझ पे
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लहजा-ए-यार
लहजा-ए-यार में जहर है बिच्छू की तरह, वो मुझे आप तो कहता है, मगर ‘तू’ की तरह…
કોઈ અસર નથી
છે આ શરીરની હાજરી ત્યાં સુધી લાગણી વરસાવી દે . . .
પછી તસ્વીરને લાગણી ની કોઈ અસર નથી હોતી..
इश्क़ तो बस
इश्क़ तो बस नाम दिया है दुनिया ने,
एहसास बयां कोई कर पाये तो बात हो
उस खुशी का
उस खुशी का हिसाब कैसे हो… तुम जो पूछ लो “जनाब कैसे हो””
छोड़ा भी हमें ।
क्या खूब
मोहब्बत
की तुमने
तोड़ा भी हमें
छोड़ा भी हमें ।।।
बारिश की तरह
तुम बरस के देखो बारिश की तरह,
हम भी महकते रहेंगे मिटटी की तरह !!
जिंदगी उलझी पड़ी है
मैं भूला नहीं हूँ किसी को…
मेरे बहुत अच्छे दोस्त है ज़माने में ………
बस थोड़ी जिंदगी उलझी पड़ी है …..
2 वक़्त की रोटी ढूंढने में। ….
जन्नत का पता नहीं
लोग कहते हैं ज़मीं पर किसी को खुदा नहीं मिलता,शायद उन लोगों को दोस्त कोई तुम-सा नहीं मिलता……!!किस्मतवालों को ही मिलती है पनाह किसी के दिल में,यूं हर शख़्स को तो जन्नत का पता नहीं मिलता……….!!अपने सायें से भी ज़यादा यकीं है मुझे तुम पर,अंधेरों में तुम तो मिल जाते हो, साया नहीं मिलता……..!!इस बेवफ़ा ज़िन्दगी से शायद मुझे इतनी मोहब्बत ना होतीअगर इस ज़िंदगी में दोस्त कोई तुम जैसा नहीं मिलता…!!
कभी तबियत पूछना
कभी तबियत पूछना हमसे भी गुजरने वाले..
हाल-ऐ-दिल बयां करने का शौक हम भी रखते हैं ….!