कुछ लोग पसंद करने लगे हैं अल्फाज मेरे;
मतलब मोहब्बत में बरबाद और भी हुए हैं।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कुछ लोग पसंद करने लगे हैं अल्फाज मेरे;
मतलब मोहब्बत में बरबाद और भी हुए हैं।
ज़ख़्म इतने गहरे हैं इज़हार क्या करें;
हम खुद निशाना बन गए वार क्या करें;
मर गए हम मगर खुली रही ये आँखें;
अब इससे ज्यादा उनका इंतज़ार क्या करें।
जेब का वजन बढाते हुए अगर दिल पे वजन बढे ….
तो समझ लेना कि ‘सौदा’ घाटे का ही है!
मुझे अपने किरदार पे इतना तो यकिन है,
कोई मुझे छोड तो सकता है मगर भुला नही सकता…!
कभी खामोश बैठोगे कभी कुछ गुनगुनाओगे,
मै उतना याद आउगाँ जितना तुम मुझे भुलाओगे
कैसे करुं भरोसा, गैरों के प्यार पर…
अपने ही मज़ा लेते हैं, अपनों की हार
पर..!
तेरी तस्वीर पे जमी धूल है गवाह इस बात की,
हम भी तुझे भूलने लगे हैं ज़रा ज़रा …!!
तू मेरे दिल पे हाथ रख के तो देख,
मैं वही दिल,
तेरे हाथ पे दिल ना रख दूँ तो कहना….!!
मिलना था इत्तेफ़ाक़, बिछरना नसीब था…वो इतना दूर हो गया जितना क़रीब था..
मत पूछ रात भर जागने की वजह अये दिल ए नादान,
मोहब्बत में कुछ सवालों के जवाब नहीं होते…