मज़हब पता चला जो मुसाफ़िर कि लाश का..
चुप चाप आधी भीड़ घरों को चली गयी…!!”
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स्वर्ग में सीढ़ी
स्वर्ग में
सीढ़ी लगाने की
अभिलाषा
खत्म हो गयी
चाहे
साथ ही मेरे …..
चाँद की पगडंडी से
देखा हैं अपना वजूद मैंने
अग्नि भेंट होता भी ….
पर मैं
आज भी
ज़िंदा हू
हमेशा ज़िंदा रहूँगा
तेरे दिलो दिमाग अंदर ….!!
जो दिखता तुझसा है
मालूम नहीं है मुझको हुस्न की तारीफ मगर
मेरे लिए हर वो शख्स खूबसूरत है जो दिखता तुझसा है
वक्त ही ना मिले
खुद की तरक्की में इतना
समय लगा दो
की किसी ओर की बुराई
का वक्त ही ना मिले……
“क्यों घबराते हो दुख होने से,
जीवन का प्रारंभ ही हुआ है रोने से..
नफरतों के बाजार में जीने का अलग ही मजा है…
लोग “रूलाना” नहीं छोडते…
और हम ” हसना” नहीं……
पसीना बना दे
मुकद्दर एक रोज जरुर बदलेगा बस इतना कर,
जिस्म मैं दौड़ते लहू को माथे
का पसीना बना दे
शिकायते तो बहुत है
शिकायते तो बहुत है तुझसे ए जिन्दगी;
पर जो दिया तूने,
वो भी बहुतो को नसीब नही….
हार की परवाह
हार की परवाह करता,तो मै जीतना छोड़ देता…लेकिन “जीत” मेरी ‘जिद’ है,और जिद का मै बादशाह हूँ…!
सपने बेच दिये..
भूख मिटाने की खातिर,
हमने सपने बेच दिये…?
डिब्बे में छुपाए थे
माँ ने कुछ पैसे, आटे के डिब्बे में छुपाए थे…..
ख्वाब कुछ मेरे ,ऐसे पकाए थे.
बेटा मज़े में है
बरबाद कर दिया हमें परदेस ने मगर
माँ सबसे कह रही है कि बेटा मज़े में है