सास रुक रुक कर आ रही हे मेरी, कुछ बात होने वाली हे,
या बहुत दूर जा चूका हे कोई,
या मुलाकात होने वाली हे….
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
सास रुक रुक कर आ रही हे मेरी, कुछ बात होने वाली हे,
या बहुत दूर जा चूका हे कोई,
या मुलाकात होने वाली हे….
मर जाए तो बढ़ जाती है इंसान की कीमत ..
जिंदा रहे तो जीने की सजा देती है दुनिया.
उस जगह हमेशा खामोश रहना….
जहां , दो कौड़ी के लोग ,,
अपनी हैसियत के “गुण-गान” गाते हों….।
इस अजनबी शहर में ये पत्थर कहाँ से आया फराज़
लोगों की इस भीड़ में कोई अपना जरूर है
बहुत ही सादा हू मैं और ज़माना अय्यार..
खुदा करे कि मुझे शहर की हवा न लगे….
नजरें सब बता देती है
नफ़रतें भी,
हसरतें भी
तुम्हें भी याद नहीं और मैं भी भूल गया
वो लम्हा कितना हसीं था मगर फ़िज़ूल गया
तेरे बगैर जीने का तजुर्बा भी हसीन होगा….हर रोज मरूंगा मैं, हर रोज कयामत होगी…..
लफ़्ज़ जब तक वज़ू नहीं करते
हम तेरी गुफ़्तगू नहीं करते
तू मिला है ऐसे लोगो को
जो तेरी आरज़ू नहीं करते
Agr Labo se baat ho gaur mat karna
Kyunki yehi lab kise Aur se didar karte hain