जिस शहर में

जिस शहर में तुम्हे मकान कम और शमशान ज्यादा मिले…

समझ लेना वहा किसी ने हम से आँख मिलाने की गलती की थी….!!

ज़रूरी तो नहीं

ज़रूरी तो नहीं के शायरी वो ही करे जो इश्क में हो, ज़िन्दगी भी कुछ ज़ख्म बेमिसाल दिया करती है…

चाँदनी बनने की

चाँदनी बनने की ख़्वाहिश.. हर किसी की है,
हमारी तलब.. तुम्हारी ख़ामोश तन्हाई है..!!
एक तन्हा रात का ख़त .. चाँद के नाम!