मुझको ही अपने पास लौटना पड़ा
तुम मेरे इंतजार से आगे बढ़ गए|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मुझको ही अपने पास लौटना पड़ा
तुम मेरे इंतजार से आगे बढ़ गए|
हमारे इश्क़ को झूठा कैसे कहा तुमने ,
जब तुमने हमे तुमसे इश्क़ करने से पहले ही ठुकरा दिया…!!
जिस शहर में तुम्हे मकान कम और शमशान ज्यादा मिले…
समझ लेना वहा किसी ने हम से आँख मिलाने की गलती की थी….!!
आज टूटा एक तारा देखा, बिलकुल मेरे जैसा था। चाँद को कोई फर्क नहीं पड़ा, बिलकुल तेरे जैसा था।।
तुम वादा करो आखरी दीदार करने आओगे, हम मौत को भी इंतजार करवाएँगे तेरी ख़ातिर,
अपनी तस्वीर को रख कर तेरी तस्वीर के साथ…
मैंने एक उम्र गुज़ारी बड़ी तदबीर के साथ…
ज़रूरी तो नहीं के शायरी वो ही करे जो इश्क में हो, ज़िन्दगी भी कुछ ज़ख्म बेमिसाल दिया करती है…
इश्क़ का क्या हुआ है, असर देखें;
आप ही आप हैं, अब जिधर देखें!
क्या ऐसा नहीँ हो सकता की हम प्यार मांगे, और तुम गले लगा के कहो… और कुछ….??
चाँदनी बनने की ख़्वाहिश.. हर किसी की है,
हमारी तलब.. तुम्हारी ख़ामोश तन्हाई है..!!
एक तन्हा रात का ख़त .. चाँद के नाम!