हवा चुरा ले गयी थी
मेरी ग़ज़लों की किताब..
देखो, आसमां पढ़ के रो रहा है
और नासमझ ज़माना खुश है कि बारिश हो रही है..!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
हवा चुरा ले गयी थी
मेरी ग़ज़लों की किताब..
देखो, आसमां पढ़ के रो रहा है
और नासमझ ज़माना खुश है कि बारिश हो रही है..!
तुम भी अब मुझको झेल रहे हो ना
सच कहना तुम भी खेल रहे हो ना
आँखों मैं आग है,तो होंठों पर है धुंआं
आदमी हो गया है करखानों की तरह|
सूखे पत्ते भीगने लगे हैं अरमानों की तरह
मौसम फिर बदल गया , इंसानों की तरह.!!
साथ थे तो शहर छोटा था..
बिछडे तो गलिया भी लम्बी लगने लगी….
बारिश में उछलते भीगते मेरे बचपन को….
अब दफ्तर की खिड़की से निहार लेता हूं….!
बस दिलों को जीतना ही
जिंदगी का मकसद रखना
वरना
दुनिया जीतकर भी
सिकंदर खाली हाथ ही गया…
तुमसे मिलने का हमने निकाल लिया एक रास्ता…..
झांक लेते हैं दिल में …आँखों को बन्द करके…!
सब को आता नहीं,कानून से लड़ने का हुनर
आस मजबूर की इंसाफ पे ठहरी देखी
हमारी उम्र नहीं थी इश्क़ करने की
बस तुम्हे देखा और हम जवां हो गए