कुछ जख़्मों की कोई उम्र नही होती…साहेब
ताउम्र साथ चलते है ज़िस्म के ख़ाक होने तक…….
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अजब हाल है
अजब हाल है, तबियत का इन दिनो,
ख़ुशी ख़ुशी नहीं लगती और गम बुरा नहीं लगता !!
रो पड़ा वो
रो पड़ा वो शक्स आज अलविदा कहते-कहते,
जो कभी मेरी शरारतो पर देता था धमकियाँ जुदाई की !!
मुजे ऊंचाइयों पर देखकर
मुजे ऊंचाइयों पर देखकर हैरान है बहुत लोग,
पर किसी ने मेरे पैरो के छाले नहीं देखे..
जिस नजाकत से…
जिस नजाकत से…
ये लहरें मेरे पैरों को छूती हैं..
यकीन नहीं होता…
इन्होने कभी कश्तियाँ डुबोई होंगी…
जुदाइयाँ तो मुक़द्दर हैं
जुदाइयाँ तो मुक़द्दर हैं फिर भी जान-ए-सफ़र,
कुछ और दूर ज़रा साथ चल के देखते हैं।
कभी हमसे भी
कभी हमसे भी बातचीत करने का बहाना कर लो
मुझको बुला लो या मेरे पास आना जाना कर लो
हँसते हुए चेहरों को
हँसते हुए चेहरों को ग़मों से आजाद ना समझो,
मुस्कुराहट की पनाहों में हजारों दर्द होते हैं!
हर बार रिश्तों में
हर बार रिश्तों में और भी मिठास आई है,
जब भी रूठने के बाद तू मेरे पास आई है !!
चल पड़ा हूँ
चल पड़ा हूँ मगर दिल से ये चाहता हूँ..
उठ के मुझे वो रोक ले और रास्ता ना दे..