इन्सान मार दिया जाता है तो कोई कुछ नहीं बोलता
जानवर काट दिया तो दंगे भड़का देते है |
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सब्र की रोटी को
सब्र की रोटी को हम सब बाँट कर के खाएंगे
दिल बड़ा छोटा सा दस्तरख्वान है तो क्या हुआ
उसी का शहर वही
उसी का शहर वही मुद्दई वही मुंसिफ़
हमें यक़ीं था हमारा क़ुसूर निकलेगा
रोज़ आते है
रोज़ आते है बादल अब्र ए रहेमत लेकर
मेरे शहर के आमाल उन्हे बरसने नही देते|
ज़ायके सैंकड़ों मौजूद थे
ज़ायके सैंकड़ों मौजूद थे लेकिन हम ने !!
हिज्र का रोज़ा तेरी याद से इफ़्तार किया !!
मेरा दिल चाँद जेसा
मेरा दिल चाँद जेसा कैसे हो
जिन्दगी ने रहो में कई आफताब खड़े किये
चल आ तेरे पैरो पर
चल आ
तेरे पैरो पर मरहम लगा दूं ऐ मुक़द्दर.
कुछ चोटे तुझे भी तो आई ही होगी,
मेरे सपनो को ठोकर मारते मारते !
न जाने किसने
न जाने किसने, पढ़ी है मेरे हक़ में दुआ…
आज तबियत में जरा आराम सा है…
फ़रार हो गई होती
फ़रार हो गई होती कभी की रूह मेरी !
बस एक जिस्म का एहसास रोक लेता है !!
तू जादू हैं
तू जादू हैं तो कोई शक नहीं हैं
मै पागल हूँ तो होना चाहिए था.!