तेरे दर से मिला है

रुतबा मेरे सर को तेरे दर से मिला है,हलाकि ये सर भी मुझे तेरे दर से मिला है,ऒरो को जो मिला है वो मुकदर से मिला है,हमें तो मुकदर भी तेरे दर से मिला है

रात भर चलती

रात भर चलती रहती है अब
उंगलियाँ मोबाईल पर…!
किताब सीने पर रखकर सोये हुए तो
एक जमाना गुजर गया….!!!

अजीब खेल है

अख़बार का भी अजीब खेल है
सुबह अमीर की चाय का मजा बढाता है
और रात में गरीब के खाने की थाली बन जाता है…!

वो लमहा भी

जरूरी नही की हर समय लबो पर खुदा का नाम आये ।।

वो लमहा भी इबादत का होता है…
जब इनसान किसी के काम आये…

हाथ की लकीरें

हाथ की लकीरें पढने वाले ने तो….
मेरे होश ही उड़ा दिये..!

मेरा हाथ देख कर बोला…

“तुझे मौत नहीं किसी की चाहत
मारेगी…