गिला बनता ही नही बेरुखी का
इंसान ही तो था बदल गया होगा|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
गिला बनता ही नही बेरुखी का
इंसान ही तो था बदल गया होगा|
हम अपने रिश्तो के लिए वक़्त नहीं निकाल सके
फिर वक़्त ने हमारे बीच से रिश्ता ही निकाल दिया |
घर की इस बार मुकम्मल मै तलाशी लूँगा
ग़म छुपा कर मेरे माँ बाप कहाँ रखते है|
तेरे हुस्न से कितना मुख़्तलिफ़ तेरी ज़ात का पहलू
इतने नर्म होंठो से कितना सख़्त बोलते हो तुम|
कभी टूटा नहीं मेरे दिल से तेरी यादों का सिलसिला,
गुफ्तगू जिससे भी हुई पर खयाल तेरा ही रहा…!!
मतलबी दुनिया के लोग खड़े है,हाथों में पत्थर लेकर ,
मैं कहाँ तक भागूं ,शीशे का मुकद्दर लेकर!!
बच्चे की मुस्कान, आपके गिरे चेहरे को भी
मुस्कुराने पर मज़बूर कर देता है।
यहाँ कोई मेरा अपना नहीं है …!!
चलो अच्छा है कोई खतरा नहीं है ..!!
तुम्हारे बाद हम जिसके भी होंगे,
उस रिश्ते का नाम मजबूरी होगा !!
शतरंज का एक नियम बहुत ही शानदार है कि चाल
कोई भी चलो पर अपने वालों को नहीं मार सकते…।।