आओ नफरत का किस्सा, दो लाइन में तमाम करें,
दोस्त जहाँ भी मिले, उसे झुक के सलाम करें|
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मैं कर तो लूँ
मैं कर तो लूँ मुहब्बत फिर से मगर
याद है दिल लगाने का अंजाम अबतक|
ना कहने से
ना कहने से होती है , ना सुनाने से,
ये जब शुरू होती है तो बस मुस्कुराने से….
जमीर का फ़क़ीर
जमीर का फ़क़ीर ना सही,
बेअक्ल या सग़ीर नहीं हूँ मैं ।
दौलत से अमीर ख़ुदा ने नवाजा नहीं,
मगर दिल का गरीब नहीं हूँ मैं |
मैं रिश्तों का जला हुआ
मैं रिश्तों का जला हुआ हूँ
दुश्मनी भी फूँक – फूँक कर करता हूँ |
तेरा वजूद कायम है
तेरा वजूद कायम है मुझ में उस बूँद की तरह
जो गिर कर सीप में इक दिन मोती बन गयी |
सच्ची महोब्बत को
सच्ची महोब्बत को कब मुकाम मिला
न मीरा को मोहन मिला न राधा को श्याम मिला|
क़लम नुकीली बहुत है
क़लम नुकीली बहुत है हमारी
डरते है कभी किसी के कलेजे पर न चल जाये |
तन्हाई की दीवारो पे
तन्हाई की दीवारो पे घुटन का पर्दा झूल रहा है
बेबसी की छत के नीचे कोई किसी को भूल रहा है|
तनहा तनहा रो लेंगे
तनहा तनहा रो लेंगे, महफ़िल महफ़िल जाएंगे
जब तक आंसू साथ रहेंगे तब तक गीत सुनाएंगे
तुम जो सोचो वह तुम जानो हम तो अपनी कहते हैं
देर न करना घर जाने में वरना घर खो जाएंगे
बच्चों के छोटे हाथों को चाँद सितारे छूने दो
चार किताबें पढ़ कर वह भी हम जैसे हो जाएंगे
किन राहों से दूर है मंज़िल, कौन सा रास्ता आसाँ है
हम जब थक कर रुक जाएंगे, औरों को समझाएंगे
अच्छी सूरत वाले सारे पत्थर दिल हों, मुमकिन है
हम तो उस दिन राय देंगे जिस दिन धोखा खाएंगे|