कभी कभी मेरी आँखे

कभी कभी मेरी आँखे यूँ ही रो पडती है, मै इनको कैसे समझाऊँ की कोई शख्स चाहने से अपना नहीं होता।।

मुझको छोड़ने की

मुझको छोड़ने की वजह तो बता देते, मुझसे नाराज थे या मुझ जैसे हजारों थे।।

साथ भले ही

साथ भले ही मंज़िल तक ना था लेकिन, बहुत खूबसूरत थे वो रास्ते जहाँ तुम साथ चलते थे।।

तुम्हे खो के ही तो समझ में

तुम्हे खो के ही तो समझ में आया, क्या हमको पाना था जो ना पाया।।

कुछ तो बात होगी

कुछ तो बात होगी बुरे लोगो में, यूँ ही खुदा उन्हें इतनी बरकत नही देता।।

कहाँ ढूँढ़ते हो

कहाँ ढूँढ़ते हो तुम इश्क़ को ऐ -बेखबर, ये खुद ही ढून्ढ लेता है जिसे बर्बाद करना हो।।

चले जाने दो

चले जाने दो उसे किसी ओर कि बाहों मे, इतनी चाहत के बाद जो मेरा ना हुआ वो किसी ओर का क्या होगा।।

आशियाने बनें भी तो कहाँ

आशियाने बनें भी तो कहाँ जनाब, जमीनें महँगी हो चली हैं और दिल में लोग जगह नहीं देते।।

किस्मत की किताब

किस्मत की किताब क्या खूब लिखी रब ने, बस वो ही पन्ना नही मिला जिसमे तेरा जिक्र था।।

कई बार मन करता है

कई बार मन करता है कि रूठ जाऊँ तुम से, फिर इस ख्याल से रुक जाता हूँ कि तुम्हें तो मनाना भी नहीं आता।।

Exit mobile version