एक पल में ले गयी मेरे सारे गम खरीद कर… कितनी अमीर होती है ये बोतल शराब की…
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आज भी नहीं
आज भी नहीं बदली है वो आदत मेरी, तेरी याद मैं रोटियाँ आज भी जला देती हूँ।।
बहुत ही सिद्दत से
बहुत ही सिद्दत से छोड देंगे तुमको, हम इधर आखिरी सांस लेगे और तुम आजाद।।
मेरा होकर भी
मेरा होकर भी गैर की जागीर लगता है,दिल भी साला मसला-ऐ-कश्मीर लगता है…
अज़ब माहौल है
अज़ब माहौल है मेरे ‘मुल्क’ का, मज़हब थोपा जाता है,’इश्क’ रोका जाता है।।
मुफ्त में नहीं आता
मुफ्त में नहीं आता, यह शायरी का हुनर…. इसके बदले ज़िन्दगी हमसे, हमारी खुशियों का सौदा करती है…!!
जो मिलते हैं
जो मिलते हैं, वो बिछड़ते भी हैं, हम नादान थे…!! एक शाम की, मुलाकात को, जिंदगी समझ बैठे…!!
एक तेरी रूह ही थी
एक तेरी रूह ही थी जिसको अपने जिस्म में उतार लिया, वरना हम तो वो हैं जो खुद को धूल भी लगने ना दें।।
तुझे भूलने के लिए
तुझे भूलने के लिए मुझे सिर्फ़ एक पल चाहिए, वह पल जिसे लोग अक्सर मौत कहते हैं।।
बहुत हिम्मत रखनी पड़ती है
बहुत हिम्मत रखनी पड़ती है, टूटे हुए दिल के साथ मुस्कुराने में।।