कर रहा हूँ

कर रहा हूँ बर्दाश्त हर दर्द इसी आस के साथ…. की मंजिल भी मिलेगी … सब आज़माइशों के बाद…

हम लबों से

हम लबों से कह ना पाये,
उनसे हाल – ए –दिल कभी,
और वो समझे नही यह
ख़ामोशी क्या चीज है..

मोहब्बत की राह

रहता है मशग़ला जहाँ बस वाह-वाह का
मैं भी हूँ इक फ़कीर उसी ख़ानक़ाह का

मुझसे मिल बग़ैर कहाँ जाइयेगा आप
इक संगे-मील हूँ मैं मोहब्बत की राह का