न मेरा एक होगा, न तेरा लाख होगा, न तारिफ तेरी होगी, न मजाक मेरा होगा. गुरुर न कर “शाह-ए-शरीर” का, मेरा भी खाक होगा, तेरा भी खाक होगा !!!
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पहचान कहाँ हो पाती है
पहचान कहाँ हो पाती है, अब इंसानों की!! अब तो गाड़ी, कपडे और जूते लोगों की औकात तय करते है!!!
में तो चिराग हू
में तो चिराग हू तेरे आशियाने का कभी ना कभी तो बुझ जाऊंगा … आज शिकायत है तुझे मेरे उजाले से कल अँधेरे में बहुत याद आऊंगा …
जब खुदा ने
जब खुदा ने इश्क बनाया होगा, तब उसने भी इसे आजमाया होगा.. हमारी औकात ही क्या है, कमबख्त इश्क ने तो खुदा को भी रुलाया होगा!
बहुत दूर है
बहुत दूर है तुम्हारे घर से हमारे घर का किनारा……! पर हम हवा के हर झोंके से पूछ लेते हैं क्या हाल है तुम्हारा….!!
वाह रे जिन्दगी !
वाह रे जिन्दगी ! भरोसा तेरा एक पल का नहीं; और नखरे तेरे, मौत से भी ज्यादा ।
एक अधबुझा दिन
एक अधबुझा दिन मिलता है,एक अधबुझी रात से.. और वो कहते है क्या खुबसूरत शाम है…
यह प्यार मोहब्बत का
यह प्यार मोहब्बत का, क्या खेल है रब जाने , जिस ने की वफा उसका, नुकसान रहा अक्सर !!
ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा
ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा भी कितना अजीब है, शामें कटती नहीं, और साल गुज़रते चले जा रहे हैं….!!
खुद को मेरे दिल में
खुद को मेरे दिल में ही छोड़ गए हो. तुम्हे तो ठीक से बिछड़ना भी नहीं आता…