“भरोसा” बहुत बड़ी तकात है
पर यह यू ही नही काम आती है
खुद पर रखो तो “ताकत” और दुसरो पर रखो
तो “कमजोरी” बन जाती है ।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
“भरोसा” बहुत बड़ी तकात है
पर यह यू ही नही काम आती है
खुद पर रखो तो “ताकत” और दुसरो पर रखो
तो “कमजोरी” बन जाती है ।
गज़ब की चीज़ हैं तुम्हारी मुस्कराहट भी…..
कम्बख़त क़ातिल भी हैं और ग़म की दवा भी…..!!
दुख की बात ये है की….
वक्त बहुत कम है….!!
ख़ुशी की
बात ये है की….
अभी भी वक्त है….!!
जैसी सोच..
वैसी जिंदगी….!!
” दोस्ती ”
सभी करते है मगर …
कुछ लोग
निभाते है ..
कुछ लोग आझमाते है
खनक उठें न पलकों पर कहीं जलते हुए आँसू,, तुम इतना याद मत आओ के सन्नाटा दुहाई दे..!
मेरी बेचैन उमंगो को बहलाकर चले जाना,
हम तुमको ना रोकेंगे बस आकर चले जाना…
मुझे तेरे ये कच्चे रिश्ते जरा भी पसंद नहीं आते..,
या तो लोहे की तरह जोड़ दे,या फिर धागे की
तरह तोड़ दे..!!
हसीना ने मस्जिद के सामने घर क्या खरीदा,
पल भर में सारा शहर नमाज़ी हो गया…!
एक बार और देखकर आज़ाद करदे मुझे…
…
के आज भी तेरी
पहली नज़र में कैद हूँ मैं ।
कुछ ख्वाब देखे,फिर ख्वाहिश बनी,अब यादें है…