इस दुनिया में

इंसानों की इस दुनिया में, बस यही तो इक
रोना है…
जज़्बात अपने हों तो ही जज़्बात हैं, दूजों के
हों तो खिलौना हैं….

बस दो आँखें….

किसी ने पूछा कौन याद आता है अक्सर तन्हाई में.

हमने कहा कुछ पुराने रास्ते खुलती ज़ुल्फे और बस दो आँखें….!!

हर तरह का वक़्त

जो उड़ते हैं अहम के आसमानों में
जमीं पर आने में, वक़्त नहीं लगता…

हर तरह का वक़्त आता है ज़िंदगी में
वक़्त के गुज़रने में, वक़्त नहीं लगता…