सुकून मिलता है दो लफ्ज कागज पर उतारकर
कह भी देता हूँ और आवाज भी नही होती|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
सुकून मिलता है दो लफ्ज कागज पर उतारकर
कह भी देता हूँ और आवाज भी नही होती|
तुम जो ये ख्वाब साथ लिए सोते हो,यही तो इश्क़ है|
इनसान बनने की फुर्सत ही नहीं मिलती,
आदमी मसरूफ है इतना, ख़ुदा बनने में…!
आज फिर बैठे है
इक हिचकी के इंतज़ार में..
पता तो चले
वो हमें कब याद करते है…
रिश्ते की गहराई अल्फाजो से मत नापो..
*सिर्फ एक सवाल सारे धागे तोड़ जाता है…!
रात ढलने लगी है बदन थकान से चूर है….
ऐ ख़याल-ए-यार तरस खा सोने दे मुझे…..
अगर फुर्सत मिले तो समझना मुझे भी कभी,
तुम्हारी ही उलझनों मे तो उलझा था मैं उम्रभर !!
कभी जो लिखना चाहा तेरा नाम अपने नाम के साथ
अपना नाम ही लिख पाये और स्याही बिखर गई…..
ये जिंदगी तेरे साथ हो …
ये आरजू दिन रात हो ….
मैं तेरे संग संग चलूँ …
तू हर सफर में मेरे साथ हो …..
आज नही तो कल ये एहसास हो ही
जायेगा….!!..
कि “नसीब वालो” को ही मिलते है फिकर
करने वाले”