नहीं ज़रूरत मुझे

नहीं ज़रूरत मुझे तुम्हारी अब,
ख्यालात तुम्हारे काफ़ी है…..
तुम क्या जानो इस मस्ती को,
अहसास तुम्हारे काफ़ी है……

बेजुबान पत्थर पे

बेजुबान पत्थर पे लदे है करोंडो के गहने मंदिरो में..!
उसी देहलीज पे एक रूपये को तरसते नन्हें हाथों को देखा है..!!!