कहीं किसी रोज

कहीं किसी रोज यूँ भी होता, हमारी हालत तुम्हारी होती
जो रात हम ने गुजारी मर के, वो रात तुम ने गुजारी होती…

कुछ तो सोचा होगा

कुछ तो सोचा होगा कायनात ने
तेरे-मेरे रिश्ते पर…
वरना इतनी बड़ी दुनिया में
तुझसे ही बात क्यों होती….