कितने गम दिये मैंने,
कितनी खुशी दी तुमने,
मार्च का महीना आ गया है
आ तू भी हिसाब कर ले…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कितने गम दिये मैंने,
कितनी खुशी दी तुमने,
मार्च का महीना आ गया है
आ तू भी हिसाब कर ले…
निभाते नही है..लोग आजकल..!
वरना.
इंसानियत से बड़ा रिश्ता कौन सा है..
हर शख्श नहीं होता अपने चेहरे की तरह,
हर इंसान की हकिकत उसके लहजे बताते है..
उस को भी हम से मोहब्बत हो ज़रूरी तो नहीं,
इश्क़ ही इश्क़ की कीमत हो ज़रूरी तो नहीं।
कहाँ तलाश करोगे तुम दिल हम जैसा..,
जो तुम्हारी बेरुखी भी सहे और प्यार भी करे…!!
अपने हाथों की हथेली पर उसका नाम तो लिख
दिया…
पर ये सोच कर बहुत रोया के तकदीर तो खुदा लिखता है..
हर शख्स परिंदों का हमदर्द
नही होता मेरे दोस्त,
बहुत बेदर्द बेठे है दुनिया में,
जाल बिछाने वाले !!
हर मर्ज़ का इलाज़ मिलता था उस बाज़ार में,
मोहब्बत का नाम लिया दवाख़ाने बन्द हो गये|
बस तुम्हेँ पाने की तमन्ना नहीँ रही..
मोहब्बत तो आज भी तुमसे बेशुमार करतेँ हैँ.
अपनी जुबान से किसी की बुराई मत करो,
क्योंकि…
बुराइयाँ हमारे अंदर भी हैं,और जुबान दूसरों के पास भी है.!