मुझे शायद सूरत देखकर ही प्यार करना था
दिल देख के प्यार करने का नतीजा भुगत लिया मैने !!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मुझे शायद सूरत देखकर ही प्यार करना था
दिल देख के प्यार करने का नतीजा भुगत लिया मैने !!
आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी….
शर्त थी लेकिन कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए…
खामोशियाँ ही बेहतर हैँ जिन्दगी के सफर मेँ…..
शब्दों की मार नेँ कई घर तबाह किये हैँ…..
मोहब्बत अब समझदार हो गयी है, हैसियत देख कर आगे बढ़ती है….
उसकी हर एक शिकायत देती है मुहब्बत की गवाही,
.
अजनबी से वर्ना कौन हर बात पर तकरार करता है!
नया कुछ भी नहीं हमदम, वही आलम
पुराना है;
तुम्हीं को भुलाने की कोशिशें, तुम्हीं
को याद आना है…
इतनी तो तेरी सूरत भी नहीं देखी मैने,
जितना तेरे इंतज़ार में घड़ी देखी है !!
एक तो उसकी पाजेब भी जानलेवा थी
ऊपर से ज़ालिम ने पैरों में मेहन्दी रचाई है
दर्द की भी अपनी ही एक अदा है..वो भी सिर्फ सहने वालों पर ही फिदा है..
लहजा शिकायत का था मगर….
सारी महफिल समझ गई “मामला मोहब्बत का है”