लतीफे छेड़ कर मैं अपनी माँ को जब हंसाता हूँ
मुझे महसूस होता है कि जन्नत मुस्कुराती है
Tag: Shayari
जहा शेरो पर चुटकलों सी
जहा शेरो पर चुटकलों सी दाद मिलती हो…
वहा फिर कोई भी आये मगर एक शायर नही आता…
मैं ढूढ़ रहा था
मैं ढूढ़ रहा था शराब के अंदर,
नशा निकला नकाब के अंदर .!!
तुमको देखा तो मौहब्बत भी
तुमको देखा तो मौहब्बत भी समझ आई
वरना इस शब्द की तारीफ ही सुना करते थे…!!
सब्र तहजीब है
सब्र तहजीब है मोहब्बत की साहब,
और तुम समझते हो की बेजुबान है हम!!
इन्सान मार दिया जाता है
इन्सान मार दिया जाता है तो कोई कुछ नहीं बोलता
जानवर काट दिया तो दंगे भड़का देते है |
सब्र की रोटी को
सब्र की रोटी को हम सब बाँट कर के खाएंगे
दिल बड़ा छोटा सा दस्तरख्वान है तो क्या हुआ
रोज़ आते है
रोज़ आते है बादल अब्र ए रहेमत लेकर
मेरे शहर के आमाल उन्हे बरसने नही देते|
ज़ायके सैंकड़ों मौजूद थे
ज़ायके सैंकड़ों मौजूद थे लेकिन हम ने !!
हिज्र का रोज़ा तेरी याद से इफ़्तार किया !!
मेरा दिल चाँद जेसा
मेरा दिल चाँद जेसा कैसे हो
जिन्दगी ने रहो में कई आफताब खड़े किये