और भी शेर है लिखने को तिरंगा तो कम से कम साफ़ रहने दो भाई
Tag: Shayari
ये बात मुझे आज तक
ये बात मुझे आज तक समझ नहीं आई..
तुमहे मैं “सुकुन” बुलाऊ या “बेचैनी”..
कब आ रहे हो
कब आ रहे हो मुलाकात के लिये,
हमने चाँद रोका है, एक रात के लिये…!!
कभी हूँ हर खुशी की
कभी हूँ हर खुशी की राह में दीवार काँटों की,
कभी हर दर्द के मारे की आँखों की नमी हूँ मैं….
कितने चालाक है
कितने चालाक है कुछ मेरे अपने भी …
उन्होंने तोहफे में घड़ी तो दी …
मगर कभी वक़्त नही दिया…!!!
उम्मीद वफ़ा की
उम्मीद वफ़ा की,और तमन्ना जिस्म की
इन पढ़े-लिखों की मोहब्बत से तो, मैं गवांर ही अच्छा हूं|
दो गज़ ज़मीन नसीब हो गयी
दो गज़ ज़मीन नसीब हो गयी यही बहुत है,
सिकंदरो को अब जहान सारा मुबारक हो|
मुद्दत से तमन्नाएं
मुद्दत से तमन्नाएं सजी बैठी हैं दिल में
इस घर में बड़े लोगों का रिश्ता नही आता |
टूट पड़ती थीं
टूट पड़ती थीं घटाएँ जिन की आँखें देखकर
वो भरी बरसात में तरसे हैं पानी के लिए|
मीठे बोल बोलि
मीठे बोल बोलिए क्योंकि
अल्फाजों में जान होती है,
इन्हीं से आरती, अरदास और अजान होती है|