रात को सोते हुए एक बेवज़ह सा ख़याल आया….
सुबह न जाग पाऊँ तो क्या उसे ख़बर मिलेगी
कभी…..!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
रात को सोते हुए एक बेवज़ह सा ख़याल आया….
सुबह न जाग पाऊँ तो क्या उसे ख़बर मिलेगी
कभी…..!
तन्हाई’ सौ
गुना बेहतर है,
झुठे “वादों” से…!
झुठे “लोगों” से…!!
जो नही है
हमारे पास वो ” ख्वाब ” हैं,
पर जो है हमारे पास वो ” लाजवाब ” हैं…
मेरे वजूद पे
उतरी हैं लफ़्ज़ की सूरत,,
भटक रही थीं ख़लाओं में ये सदाएँ कहीं।।
अधूरी हसरतों का आज भी इलज़ाम है तुम
पर…!!
अगर तुम चाहती तो….. ये मोहब्बत ख़त्म ना होती….!!
इश्क़ ” का बँटवारा , रज़ामन्दी से हुआ …
चमक उन्होंने
बँटोरी , तड़प हम ले आये !
करने गये थे उनसे तगाफुल का हम गिला..
की एक ही निगाह
कि हम खाक हो गये..!
ज़िंदगी हमारी यूँ सितम हो गयी;
ख़ुशी ना जाने कहाँ दफ़न हो गयी;
बहुत लिखी खुदा ने लोगों की मोहब्बत;
जब आयी हमारी बारी तो
स्याही ही ख़त्म हो गयी
आईना देख के तसल्ली
हुई
कोई तो है इस घर मे
जो जानता है हमे
किसी को न पाने से ज़िंदगी
खत्म नहीं हो जाती,
पर किसी को पा के खो देने के बाद कुछ बाकी
नहीं बचता
मैंने भी बदल दिये ज़िन्दगी के उसूल,
अब जो याद करेगा…,सिर्फ वो ही याद रहेगा…!!